क्या आप एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जो कूड़े से मुक्त हो एक ऐसी दुनिया जहां संसाधनों का इस्तेमाल सोच समझ कर होता हो और हर चीज़ रिसाइकल होती है. आज के इको इंडिया के शो में मिलवाएंगे कुछ ऐसे लोगों से, जो इस दिशा में काम कर रहे हैं.
Watch yet another exciting episode from the Hit series called Eco India.
सामान से भरे सुपरमार्केट के रैक और भरी टोकरियां. हम में से ज्यादातर लोग इस सहूलियत की अहमियत नहीं समझते. भुखमरी खत्म करने के संकल्पों के बावजूद कुपोषित लोगों की तादाद बढ़ रही है. दुनिया की तीस प्रतिशत से ज्यादा आबादी खाद्य असुरक्षा से प्रभावित है. आज के शो में जानेंगे इससे निपटने के लिए हो रहे कुछ स्थानीय प्रयासों के बारे में.
Rediscovering what our ancestors already knew. When looking for sustainable and ecofriendly solutions, we often find that there are perfect solutions in nature. They are part of natures gift.
चाहे आसमान में चमकती सूरज की किरणों से हो या धरती पर पड़े कचरे से, अक्षय ऊर्जा के स्रोत भविष्य की टिकाऊ ऊर्जा व्यवस्था को तैयार कर रहे हैं. आज के इको इंडिया के एपिसोड में जानिए कुछ अनोखी तकनीकों के बारे में जो हमारी दुनिया को बदल सकती हैं.
हमारे जीने के लिए जरूरी भोजन, पानी, साफ जलवायु और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के अनमोल खजाने धरती के इकोसिस्टम हमें तोहफे में देते हैं. लेकिन इंसानी गतिविधियां इकोसिस्टम की इस काबिलियत को नष्ट कर रही हैं. आज देखेंगे कि कैसे हम अपनी जमीन को बचा कर जलवायु परिवर्तन के असर को कम कर सकते हैं.
समुद्रतट पर फैला और नदियों का दम घोंटता प्लास्टिक का कूड़ा किसी बीमारी से कम नहीं है. संयुक्त राष्ट्र ने तो इसे महामारी का दर्जा दिया है जो हमारे स्वास्थ्य और इकोसिस्टम दोनों पर बुरा असर डाल रहा है . मिलते हैं ऐसे लोगों से जो इस संकट से निपटने के उपाय खोज रहे हैं.
अपने ऐशो आराम के लिए हम बड़ी आसानी से प्रकृति को नुकसान पहुंचाने लगते है. फिर चाहे बात हमारे खानपान की हो, फैशन की या यातायात की – हमारी पसंद हमारी धरती की पसंद से अलग होती जा रही है. तो इसे बदलें कैसे आज के शो में हम लाएं है आपके लिए कुछ आइडिया.
आधुनिक जीवन ने हमें कई सुविआधायें दी हैं . हमारे आराम में कहीं कोई कमी ना आये , इसलिए हम ज्यादा से ज्यादा चीज़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं , और अपने ही इकोसिस्टम को नुक्सान पहुंचा रहे हैं . हमारे इस बर्ताव का नतीजा भी किसी से नहीं छिपा है : कहीं फसल ख़राब हो रही हैं , कहीं बे मौसम बांध आ रही है और कहीं सूखा पड़ रहा है . इसे बदलना है तो वापस प्रकृति की गॉड में ही जाना होगा . कैसे आज के शो में करेंगे इस पर बात .
Hindi
26 February 2020
Nature, Infotainment
Sannuta Raghu